झारखंड के 70000 पुलिस जवान एवं पदाधिकारी हड़ताल पर

राज्य के 70000 पुलिस जवान एवं पदाधिकारी हड़ताल पर हैं, हालांकि तीन दिन तक अपनी मांगों को लेकर काले-बिल्ले लगाकर अपना विरोध जताऐंगे। इसके बाद दूसरे चरण में भूख हड़ताल पर जायेंगे। मांगे नहीं मानी गयी, तो पूरे राज्य के अनिश्चितकालीन के लिए जवान हड़ताल में चले जायेंगे। पुलिस का हड़ताल में जाने से राज्य का पूरी विधि-व्यवस्था चरमरा जायेगी। चोर लुटेरों की राज्य कायम हो जायेगा, उक्त बातें कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ राजेश गुप्ता ने कही।

डाॅ. गुप्ता ने कहा कि भाजपा की रघुवर सरकार ने झारखंड के ईमानदार पुलिस जवानों को भी कई बार ठग चुके हैं, सीएम रघुवर सरकार ने जवानों के मांगों को जायज बताया तथा उन्होंने चार बार घोषणा कर चुके हैं कि इस वित्तीय वर्ष लागू कर दी जाएगी। वहीं राज्य के पुलिस महानिदेशक ने भी जवानों को एक दिन अवकाश देने की बात की थी लेकिन राज्य में पुलिस जवानों की कमी बताते हुए अब जवानों को एक दिन छूट्टी देने से मुकर रहे हैं। डाॅ गुप्ता ने कहा कि रघुवर सरकार मोदी के बाद झूठ बोलने में सबसे ज्यादा कीर्तिमान स्थापित की है। उनके झूठे आश्वासनों से आमजनता के साथ सरकार के अधिनस्त कार्य कर रहे कर्मचारी, पुिलस जवान, पदाधिकारी, शिक्षक, डाॅक्टर सभी त्रस्त एवं परेशान हैं।

डॉ गुप्ता ने राज्य में पुलिस जवानों के हड़ताल को कांग्रेस पार्टी समर्थन देने की बात कही है। जवानों की जायज मांग को सरकार को मान लेनी चाहिए। जिस राज्य में पुलिस जैसे महकमे नाराज हों, वैसे राज्य में विधि व्यवस्था और सरकार की कुशलता पर सवाल उठना स्वभाविक हो जाता है। पुलिस हमारी आतंरिक सुरक्षा की सबसे बड़ा प्रहरी है, जिसके कारण हम रात में चैन से सो पाते हैं। राज्य में पुलिस जवानों की कमी होने के कारण एक पुलिस पर कई कार्यों के भार होते हैं। तनाव के बावजूद 24 घंटे अपने कार्य में तैनात रहनेवाले पुलिस को भरपेट खाना भी नहीं मिले, तो ऐसी सरकार को रहने का कोई मतलब नहीं होता है। तनाव के कारण कई पुलिस जवानों के आत्महत्या करने की भी घटना समाने आई हैं। हम जब दुर्गा पूजा, दिवाली, होली, ईद बकरीद, सरहुल और बड़ा दिन जैसे पर्व मनाते हैं। इस वक्त हमारे जवान रातों को जागकर अपनी ड्यूटी में तैनात रहते हैं। इस एवज में पुलिस कर्मी एक माह का अतिरिक्त वेतन की मांग करते हैं, तो क्या गलत है ?

डॉ राजेश गुप्ता कहते हैं कि पुलिस कर्मियों द्वारा प्रोन्नति के आधार पर रिक्त पदों में नियुक्ति की मांग की है, यह किसी भी एंगल से गलत मांग नहीं है। तीन साल हो गये, लेकिन सातवां वेतनमान लागू नहीं किया जाना, सरकार की उदासीनता झलकाती है। जो पुलिस कर्मी राज्य और देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो जाता है, उनके आश्रितों को नौकरी मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना खत्म कर रघुवर सरकार ने राज्य पुलिस कर्मियों के साथ ज्यादती कर रही है। इनके स्वास्थ्य बीमा कराना अत्यावश्यक है। सरकार पुलिस के साथ ज्यादती न करे और उनकी जायज मांगों को जल्द पूरा करें, अन्यथा कांग्रेस पार्टी भी इनके समर्थन में सड़क पर उतर सकती है।

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